पिताजी के लिए शायरी : दोस्तों आज हम ऐसे शख्स के बारे शायरी देखने वाले है ,जो हम सबके जीवन का महत्वपूर्ण रिश्ता है जिसका जिसका नाम है पिता।
आपको पता है की पिता की वजह से हम है,वैसे तो पिता के लिए शब्द ही नहीं है, लेकिन चलो कुछ शायरिया देखते है उनके लिए।
ये जो मुस्कान लिए बैठे है,
पिताजी की पहचान लिए बैठे है
मौरग,सिमेंट,रेत मैं फसे सरिया के फंदे है
मेरा घर कोई इमारत नही पिराजी के कंधे है।
पिताजी पर लिख पाऊं, ऐसे अल्फाज कहा से लाऊं
मेरी जेब तो आज भी,उनके दिये सिक्कों से भरती है।
ये पिता के कॉलर और जूते के तलवों का जो टूटना है
बच्चो के भविष्य को कड़क चाय के लिए अदरक कूटना है।
बड़ी तकलीफ और घुटन होती है मुझे,
जब मेरे पिता तकलीफ मैं होते है।
कभी- कभी तो लगता है की जी भर कर रो लु,
फिर सोचता हु की कई हिम्मत देने वाला भी तो चाहिए।
पिताजी से जुबान लड़ा लेता था कभी
अब जिन्दगी मुँह तक खोलने नहीं देती।
सुना है बाप जिंदा हो तो कांटा भी नही चुभता।
मुझे तो उनका साया भी नसीब नही हुआ
तो ठोकर और घाव के सिवा और क्या मिलता।
आपके ही नाम से जाना जाता हूं पापा
भला इस से बड़ी
शोहरत मेरे लिए क्या होगी।
तुम मुझे जब छोड़ो तो जरा धीमे से छोड़ ना
उछाल के पकड़ने के लिए पिताजी नही है।
घर ही नहीं .... जब पिताजी पास नही होते
मैं खुद को भी नही संभाल पाता।
समय की मार ने जब हमे बे घर कर दिया
पिता ने अपने साये को ही घर कर दिया ।
सदा लिबास रहता है उनका, वो त्याग की तस्वीर है,
पिता की शख्सियत इस जहा मैं वाकई बे- नजीर है।
जीते जी उस पल में जन्नत को छू आया था
पिताजी ने जब भी मुझे कंधे पे उठाया था ।
बेटी के बिदाई मैं
आंखो मैं आसुओं का समंदर थामकर रखनेवाला
केवल 'बाप' ही होता है।
एक पाठ जो पिता से बचपन से पढ़ा है
जमीन पे नम्र बैठना बड़प्पन ये बड़ा है।
कहने को तो हिस्से मैं बहुत सी कामयाबी आई है
हासिल तब हुई जब पिताजी ने पीठ थपथपाई है।
गुस्से में भी प्यार होता है ,
वो हमारे पिता, जो जिंदगी का आधार
होता है।
पापाजी
बेटा आपका भी कामयाब होगा
सब्र रखिए एक दिन सबका हिसाब होगा।
पिता वह एहसास है ,
जिसके होने से
बेफिक्री की सुगंध
आने लगती है।
कल माँ का जमनदीन था
हाँ, मिठाई ले थे पिताजी
अपनी पसंद की।
मर्द को ही ताउम्र जेवर पहनते देखा है,
पिताजी के शरीर पे मेहनत का पसीना
चमकते देखा है।
पिता संग वो अपने दोस्तों सी
बाते करता है..
पिता उसे या वो पिता को खुशनसीब करता है।
वो आपने हिस्से की छांव देकर
हमारे हिस्से की दौड़-धूप ले जाते है
सपनो को पंख देने हमारे, पिताजी अपने सारे अरमान
तोड़ जाते है।
मेरी पहचान आपसे पापा...किया कहु आप मेरे लिए किया हो...कहने को तो है पैरों के निचे ऑय जमीं...पर मेरा आस्मां आप हो
जिस कदम पर मैं डगमगाया,
हाथ पकड़ कर कंधे पर उठा लिया,
पूरे जहां की खुशियां दे दी मुझे,
वो प्यारे पापा है मेरे।
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